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दुआ...
तुझसे नहीं, मैं ख़ुद से नफ़रत करती हूँ।
मिले तेरे हिस्से की ख़ुशी दुआ करती हूँ।।
क़ाबिल ना थी फिर भी क़रीब रखा मुझे,
खिले तेरे इश्क़ की कली दुआ करती हूँ।।
हिसाब ना करना, हूँ गुनाहग़ार बेहिसाब,
ढले तेरे इंतज़ार की शाम दुआ करती हूँ।।
दर्द पाल रखा है मैंने, तुझपे असर होगा,
खिले तेरे लबों की हँसी दुआ करती हूँ।।
मेरी मनहूसियत से तबाह तेरा घर न हो,
जले तेरे जहाँ की बदी दुआ करती हूँ।।
-संगीता पाटीदार
#Poetry
मिले तेरे हिस्से की ख़ुशी दुआ करती हूँ।।
क़ाबिल ना थी फिर भी क़रीब रखा मुझे,
खिले तेरे इश्क़ की कली दुआ करती हूँ।।
हिसाब ना करना, हूँ गुनाहग़ार बेहिसाब,
ढले तेरे इंतज़ार की शाम दुआ करती हूँ।।
दर्द पाल रखा है मैंने, तुझपे असर होगा,
खिले तेरे लबों की हँसी दुआ करती हूँ।।
मेरी मनहूसियत से तबाह तेरा घर न हो,
जले तेरे जहाँ की बदी दुआ करती हूँ।।
-संगीता पाटीदार
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