मंजर अकेलेपन का
फिर अकेला सा लगने लगा हूँ
खामोशी के अंधेरे में सिमटने लगा हूँ
लगता है जैसे कोई पास नहीं है
साथ होते हुए भी कोई साथ नहीं है
बातें खत्म सी हो गयी हैं
अब तो चुपचाप पड़ा रहता हूँ
आँखों में मेरे नमी नहीं दिखेगी...
खामोशी के अंधेरे में सिमटने लगा हूँ
लगता है जैसे कोई पास नहीं है
साथ होते हुए भी कोई साथ नहीं है
बातें खत्म सी हो गयी हैं
अब तो चुपचाप पड़ा रहता हूँ
आँखों में मेरे नमी नहीं दिखेगी...