आहट
अगर किसी रोज सांस रुक जाए इंतजार में
और वो आए
ढूंढे मुझे मगर फिर ढूंढ न पाए
देखकर बंद आंखें मेरी,
एक निगाह देख ले ये गुहार लगाए
माफ करदे मुझे, जरा देर हो गई
चल लौट आ कि
जिंदगी तुम बिन मेरी भी न मुस्कुराए
उसकी चीख में भी
भावहीन चेहरा जब मेरा नजर आए
मौत के एक क्षण पहले तक मेरी नजरों ने भी
थीं सारे मंजर...
और वो आए
ढूंढे मुझे मगर फिर ढूंढ न पाए
देखकर बंद आंखें मेरी,
एक निगाह देख ले ये गुहार लगाए
माफ करदे मुझे, जरा देर हो गई
चल लौट आ कि
जिंदगी तुम बिन मेरी भी न मुस्कुराए
उसकी चीख में भी
भावहीन चेहरा जब मेरा नजर आए
मौत के एक क्षण पहले तक मेरी नजरों ने भी
थीं सारे मंजर...