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एकलोपन
सब होते हुए भी,
क्यों अधूरा सा लगता हैं,
तू पास होते हुए भी,
क्यों दूर सा लगता हैं।
तू कुछ ना बोले मुंह से,
तब भी मेरा दिल,
बहुत कुछ सुन लेता है,
रातकी सन्नाटो में भी,
दिल और दिमाग,
बहुत शोर मचा देता है।
केहेना बहुत है तुझसे,
पर तू यूं सोजता है,
गर जिद्द करू तुझ्से,
मेरी बात सुनानेकी,
तू यूं बेहवाजा नाराज होजाता है।
तू पास होते हुए भी
क्यों दूर सा लगता है,
तू अपना होते हुए भी,
क्यों तन्हा सा लगता है।
© suza
क्यों अधूरा सा लगता हैं,
तू पास होते हुए भी,
क्यों दूर सा लगता हैं।
तू कुछ ना बोले मुंह से,
तब भी मेरा दिल,
बहुत कुछ सुन लेता है,
रातकी सन्नाटो में भी,
दिल और दिमाग,
बहुत शोर मचा देता है।
केहेना बहुत है तुझसे,
पर तू यूं सोजता है,
गर जिद्द करू तुझ्से,
मेरी बात सुनानेकी,
तू यूं बेहवाजा नाराज होजाता है।
तू पास होते हुए भी
क्यों दूर सा लगता है,
तू अपना होते हुए भी,
क्यों तन्हा सा लगता है।
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