तुम
क्षितिज पर उगते सूरज
की लालिमा तुम,
ताजा खिले गुलाब पर
ओस की ठंडक तुम|
बियाबान बगीचे में
रात की रानी की सुगंध
तुम,
डूबते सूरज में
दूर किसी खलिहान
में चमकते जुगनुओं की
रोशनी तुम!
और ये तुम्हारा अचानक मिलना
मानो एक नयी भाषा का ज्ञान!
भाषा जिसने बदल दिये
मेरे भावों के सब आयाम|
सुनो, तुम्हारे ख्वाब देखता हूं
दिन रात,
और हाँ, ये सब हैं कुर्बान
वस्ल के उस एक लम्हे पर
जो किस्मत में लिखा ही होगा
अगर है रहम बादलों के पार
उस खुदा को हम पर
जो है महब्बत के सिवा
कुछ भी नहीं!
© All Rights Reserved
की लालिमा तुम,
ताजा खिले गुलाब पर
ओस की ठंडक तुम|
बियाबान बगीचे में
रात की रानी की सुगंध
तुम,
डूबते सूरज में
दूर किसी खलिहान
में चमकते जुगनुओं की
रोशनी तुम!
और ये तुम्हारा अचानक मिलना
मानो एक नयी भाषा का ज्ञान!
भाषा जिसने बदल दिये
मेरे भावों के सब आयाम|
सुनो, तुम्हारे ख्वाब देखता हूं
दिन रात,
और हाँ, ये सब हैं कुर्बान
वस्ल के उस एक लम्हे पर
जो किस्मत में लिखा ही होगा
अगर है रहम बादलों के पार
उस खुदा को हम पर
जो है महब्बत के सिवा
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