...

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ऐ छोटू जरा चाय इधर लाना....
चर्चा चरम पर थी चाय की दुकान पर,
बातें हो रहीं थी शिक्षा और अधिकार पर;
कोई एक बोला कि दुर्भाग्य है समाज का,
जो पढ़ न पाया नौनिहाल भविष्य देश का।

तभी जवाब आया कि दुर्भाग्य नही विवशता है;
कभी बीमारी तो कभी तंगी से इंसान लड़ता है;
ये प्रशासन कुछ करता ही नही बच्चो से बस खेल रहा,
कुछ सुविधाएं ही नही तभी तो समाज ये दंश झेल रहा।

उसी बीच आवाज आई "ऐ छोटू जरा चाय लाना इधर "
मैं स्तब्ध था कि क्या यही है सच्चाई ?
उठकर चल दिया चर्चा से दूर आंखे थीं भर आईं ;
चर्चा तक सीमित थे सब इनमें न थी कोई गहराई।
© pagal_pathik