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एक लड़का
एक लड़का,
आसान नहीं है एक लड़का होना, बचपन में देखे जो सपने जवानी आते आते कब जिम्मेदारियो में बदल जाते हैं,
एक लड़के से बेहतर कौन समझ सकता है।
परिवार से दूर रहा, दुनियादारी से थका, किसी के सामने न रो सका,
एक लड़के से बेहतर कौन समझ सका।
कभी कमजोर पड़ा, कभी गिरा और उठा, खुद को मजबूत बताता रहा, और अंदर ही अंदर परेशानियों से लड़ता रहा,
एक लड़के से बेहतर कौन समझ सका।
दिल के रिश्ते निभाते निभाते, सही गलत में पिसता रहा,
मां-बाप के सपने पूरे करने के लिए वह दुनिया से लड़ता रहा,
एक लड़के से बेहतर कौन समझ सका।
जख्म भी है दर्द भी है दवा की तलाश वह करता रहा किसी को पता ना चले इसलिए उदासी में भी वह हंसता रहा,
एक लड़के से बेहतर कौन समझ सका।
एक गलत तो सबको गलत बता दिया जाता है,
संघर्ष पर इस जिंदगी में हर बार लड़का जिंदगी से हार जाता है।।
- हितांशी राठौड़
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