ग़ज़ल
एक-दूजे की दिल से इज़्ज़त कर।
दिल ये कहता है बस मुहब्बत कर।
ये दिखावे, ये ढोंग छोड़ भी दे,
रब की दिल से कभी इबादत कर।
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दिल ये कहता है बस मुहब्बत कर।
ये दिखावे, ये ढोंग छोड़ भी दे,
रब की दिल से कभी इबादत कर।
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