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क्रोधित दिनकर
*क्रोधित दिनकर*

क्रोधित दिनकर हुए हैं नभ में,🌞
हा हा कार मचा हुआ है जग में।🥵

सहा जाए न रवि का विकराल रूप,
आग के गोले जैसे लगती अब धूप।🔥

जेठ वैशाख का सूरज देखा जाए ना,
लू लपट का कहर कहर सहा जाए ना।🔥

भूमिगत जलस्तर इतना नीचे है गिरा,
जाकर के भूतल में भी नहीं है मिला।🔥

डंबर की सड़के पिंघल गई अब सारी,
त्राहि त्राहि कर रही हैं देखो सृष्ठि सारी।🔥

किसानों की दयनीय दशा कही जाए ना,
मोटे कर्ज तले जिंदगी अब जी जाए ना।🔥

हे दिनकर! इतनी सी अरज सुनो हमारी,
जड़ चेतन हम सब दया दृष्टि चाहें तुम्हारी।🙏

लेखक_#Shobhavyas
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