एहसास की महक से भर जाता है मन !
शाम होते ही
एहसास की महक से भर जाता है मन !
वो दिसम्बर की शाम हमारी पहली मुलाकात,
तुम मेरे इतने करीब थे कि तुम्हारे बदन से
उठती भीनी भीनी खुशबू मदहोश कर रही थी
यूँ तो हमें बिछड़े हुए एक जमाना बीत गया !
फिर भी ना जाने क्यों
आज भी शाम होते ही
एहसास की महक से भर जाता है मन !