...

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मित्रता...
सुख दुख के साथी रहें ,बचपन के वो यार।
छिपा छिपाई खेलना ,वो गेंदों की मार।

नहीं धर्म अरु जात का ,दिखा कभी संयोग।
मित्र सदा मन में बसें ,मन से मन का योग।

मित्र कभी लेता नहीं ,बस देने की बात।
जिसमें स्वारथ है बसा ,मित्र...