नाचते क्यों लोग शव के सामने
नाचते क्यों लोग शव के सामने,
कभी सोचा है क्या आपने?
मैंने भी न सोचा था कल तक,
पर न जाने क्या हुआ कल मुझे शव को देखे।
भरी हुई गाड़ी में बैठी थी , फिर भी अकेली थी।
विचारों में खौई, ज्ञान मगन थी ।
आस पास क्या हो रहा था कौन जाने ?
मैं तो खौई थी अपनी ही दुनिया में ।
जीवन के बारे में सोचते हुए निशॿद बैठी हुई थी ।
जब अचानक ढोल बजने की आवाज़ सुनाई दी,
रोज़ न भजाते थे , कल क्यों बजा रहे थे?
तो खिड़की से मैंने बाहर देखा,
और देखा शव के सामने लोग नाच रहे थे,
शव के सामने लोग नाच रहे थे,क्या कोई दुख न था उनको ।
मृत्यु हुई थी ,
क्या मृत्यु कोई कुशल विषय थी ?
एक औरत के शव के सामने लोग नाच रहे थे।
क्यों नाच रहे थे?
उनको देखते हुए मैं विचारों में डूब गई,
न जाने कब शव निकल गया,पर मुझे क्या?
मैं तो उतर की तलाश में थी ।
जीवन का अंत मृत्यु है
अौर मृत्यु ले जाती है हमें अपनो से दूर ।
न जाने क्यों लोग नाचते है जब मुझे होता है दुख ।
नाचते क्यों लोग शव के सामने ,
कभी सोचा है क्या अपने ?
सोच रही थी,
सोच रही थी,उतर की तलाश में थी ।
अचानक से एक बुढ़ी औरत,जो मेरे पास बैठी थी,
पुछा मुझसे,“क्या सोच रही हो बेटी?”
कही तो देखा था मेने उनको,
कही तो देखा था मेने उनको,पर याद न आ रहा था कहाँ ?
ज़यादा न सोचा मेने,केवल अपना प्रश्न बताया ।
क्यूँ किया मेने एसा, मैं न जानू ।
जब न करती बात मैं अजनबियों से, केसे पुछ लिया प्रश्न मेने उनसे, बिना सोचे ।
बुढ़ी औरत हँसकर बोली,
“बेटी, यही तो है नियम जीवन का,
यही तो है नियम जीवन का, कि जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु भी निशचय है,
मृत्यु जब निशचय है तो क्यों रोना जब वो जाए ?
जब स्वागत होता है उनका ख़ुशी से नाच के, तो क्यों करे उनका विदा आँसुओं से ?
जब तुम जाओगी दूर अपने घर से, क्या तुम्हें ख़ुशी मिलेगी जब तुम्हारी माँ करेंगी तुम्हें विदा आँसुओं से ?”
उनकी बात सुनते हुए मैं खिड़की के बाहर देख रही थी ।
जब मुड़ी उन्हे धन्यवाद करने, तो देखा कोई और बेटा था मेरे बगल में ।
मैं चौंक गई, न कुछ सोच पाई न कुछ बोल पाई, बस देखती रह गई ।
घर आ गया मेरा,
और मैं उतर गई गाड़ी से ।
चलते हुए समझने की कोशिश कर रही थी,
कि क्या हुआ था गाड़ी में ।
अचानक याद आया मुझे,कि उस बुढ़ी औरत की शकल मिलती थी शव से ।
हत्बुधदी होकर खड़ी हो गई मैं ।
क्या वो मेरी कल्पना थी या सच,
तब कुछ भी नहीं आ रहा था समझ में,
पर जो भी हो उनकी बात बस गई थी मेरी दिल में ।
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