...

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तुम एक स्त्री हो....
जानती हो, रीतिका
तुम एक स्त्री हो..
और..
स्त्रियों को सिखाया गया हमेशा,
उन्हे उनकी सीमाओं में रहना...
और तुमने चुना उन्हे तोड़ आज़ाद होना...
उन्हे सिखाया गया किसी के सहारे रहना,
और तुमने चुना अपनो का सहारा बनना...
उन्हे महसूस करायी जाती है उनकी कमज़ोरी
और सामर्थ साहस के लिए जोड़ा जाता है
किसी पुरुष से
बिना किसी प्रेम..और मन के जुड़ाव से...
उन्हे आज़ाद भी किया गया तो शर्तों के साथ..
पर तुमने महसूस किया साहस और चुना आज़ाद होना शर्तों के उस कमज़ोर बंधन से जो एकमात्र किसी स्त्री का लक्ष्य होता है ,
तुमने चुना अपनी उड़ान को अपना लक्ष्य..
तुमने चुना गिरते सम्भलते हर हाल मे उड़ते रहने का लक्ष्य...
तुमने चुना..
अपने हौसलो से अपने व्यक्तित्त्व का निर्माण..
तुम्हारा एक एक चुनाव तुम्हारे व्यक्तित्त्व का दर्पण है,
और ये दर्पण है तुम्हारी ये आँखे जिनमे सिमटा है तुम्हारा हुनर और नज़र आता तुम्हारा खूबसूरत संघर्ष तुम्हारी इन खूबसूरत आँखों में....

एक स्त्री होने के अर्थ से
मुझे गर्व है तुम्हारे चुनाव पर..
मुझे गर्व है तुम्हारे व्यक्तित्त्व पर...
मुझे गर्व है तुम्हारे जैसी प्रतिभाशाली स्त्री के बेहतरीन संघर्ष के खूबसूरत सोंधर्य पर...
तुम्हारा हर दिन छुए ऊँची उड़ान को..रात बीते सूकून और नये सपनो की खोज में..
इन्ही शब्दो के साथ तुम्हे तुम्हारी जन्म दिन कि शुभकामनाएं...