जीवन बाला।
जीवन बाला।
कभी भ्रांतियों के श्रापो से।
कभी शुभाशीष अलाप प्रसंगों से।
एक बहली की रूप रेखा बनकर कर तुम।
कभी सुख तुम कभी दुख तुम।
जीवन का प्रारंभ और...
कभी भ्रांतियों के श्रापो से।
कभी शुभाशीष अलाप प्रसंगों से।
एक बहली की रूप रेखा बनकर कर तुम।
कभी सुख तुम कभी दुख तुम।
जीवन का प्रारंभ और...