...

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माफीनामा !!
मुझसे लिखे गए है कुछ बुरे अल्फाज
क्या तुम इन्हें साफ कर सकती हो

मैं गुनाहगार बन चूका हूं तुम्हारा
क्या तुम मुझे माफ कर सकती हो

दो चार बाते गुस्से में आकर
मैने लिखी है अंधेरे में
दो चार बाते तुम भी चाहो तो
मेरे खिलाफ कर सकती हो

मेरी सारी कोशिश नाकाम रही
तुम्हे खुश रखने की
ये कोशिश मेरी तरफ से
तुम आप कर सकती हो

मुझ पर लगाये तुम्हारे इल्जाम
मुझे पता है झूठे है
क्या तुम मेरे ख्वाबों से
इंसाफ कर सकती हो

मेरे दिल में तुम रहती हो
तुम तो गंगा सी पवित्र हो
क्या तुम ये पवित्र जगह छोड़ कर
पाप कर सकती हो

तुम्हारा जीवन कांटो से भरा
धूल जमी है देह पर
तुम मेरा प्रेम लगाकर
इसे साफ कर सकती हो

आज भी हूं कल भी था
और रहूंगा तुम्हारा ही
क्या तुम "दीप" के ख्वाब जलाकर
खाक कर सकती हो

शायद नही ....


मैं गुनाहगार बन चूका हूं तुम्हारा
क्या तुम मुझे माफ कर सकती
© दीप