...

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क्यों है इतना गुरुर?
क्या है,और क्या था?
आज हो बड़े ज़रूर,
कुछ पल की मृगतृष्णा
पर क्यों इतना गुरूर?
दिखावे की दुनियां का गुमान है?
ये तो जल्द खत्म होने वाला समान है।
क्यों बैर है औरों से इतना,बताओ?
खोखला मन है तुम्हारा ज़रा दिखाओ।
क्यों सर पर चढ़ चुका ये बेकार ही,
क्या इतनी ताकत है खत्म कर दे संसार ही?
ताकत, खूबसूरती,ये दिमाग
नशा है,एक पल का,
क्यों इतना गर्व है
कुछ काम नहीं,ऐसे बल का।
गर्व है?करो पर बाहरी चीज़ों का नहीं,
ये दिखावों की दुनिया के भिडों का नहीं।
जो तुमने सच में किया लोगों के लिए,
गर्व करो,पर अभिमान नहीं,
हो पता पर दिखाओ ज्ञान नहीं।
जब सर चढ़ता अभिमान अगर,
तो ले डूबता सब इंसान मगर।