एक ज़माना।
वो भी क्या ज़माना था।
नदियों में बेहता बेगाना सा एक अफ़साना था।
खेतों में लहराते मस्ताना सा एक गाना था।
खतों में लिखा कथाओं का पैगाम था।
गालियों में गूँजता नन्ही कदमों का सान था।
घरों में झूमता संगम का सैलाब था।
आंगन में खिलता चिड़ियों का मैदान...
नदियों में बेहता बेगाना सा एक अफ़साना था।
खेतों में लहराते मस्ताना सा एक गाना था।
खतों में लिखा कथाओं का पैगाम था।
गालियों में गूँजता नन्ही कदमों का सान था।
घरों में झूमता संगम का सैलाब था।
आंगन में खिलता चिड़ियों का मैदान...