महामारी के दिन
जन जीवन हुई अस्त व्यस्त,
आधी आबादी त्रस्त - ग्रस्त,
कुछ को दानों के लाले पड़े,
पग चलते पैरों में,छाले पड़े
सोचा ना था,जीवन में भी
ऐसा पल भी आ जायेगा,
जो दूर कमाने जाते थे
दो पैसे कमा के आते थे
अब बंद पड़ी है पगडंडी,
कोई कैसे बाहर जायेगा
पहले तो लोग समारोह में,
मेलों में जाया करते थे,
पहले तो लोग घरों में भी,
मिलने को आया...
आधी आबादी त्रस्त - ग्रस्त,
कुछ को दानों के लाले पड़े,
पग चलते पैरों में,छाले पड़े
सोचा ना था,जीवन में भी
ऐसा पल भी आ जायेगा,
जो दूर कमाने जाते थे
दो पैसे कमा के आते थे
अब बंद पड़ी है पगडंडी,
कोई कैसे बाहर जायेगा
पहले तो लोग समारोह में,
मेलों में जाया करते थे,
पहले तो लोग घरों में भी,
मिलने को आया...