जिया जाए जी भर कर
चाँद तारों को उसने कुचला अपने तकिये मे भरकर।-
रात पूनम की थी मगर आज नही थी इतनी बेहतर।-
चाँदनी की तो मत पूछो,क्या क्या ना सह गई वो,
जिसे आना था निखर के वो आई है थक- थक...
रात पूनम की थी मगर आज नही थी इतनी बेहतर।-
चाँदनी की तो मत पूछो,क्या क्या ना सह गई वो,
जिसे आना था निखर के वो आई है थक- थक...