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BADLAAV.
कुछ लिखा नहीं है बहुत दिन? कहाँ रहती हो बहुत दिन से? सब खैरियत से तो है ना? किसी से मिली नहीं हो बहुत दिन से? या मिलना नहीं चाहती हो बहुत दिन से?

हाँ। सब खैरियत से है। जिंदगी जीने के तरीके में कुछ फर्क जरूर आया है पर सब खैरियत से है।

अब उस दिमाग के उस कोने में पड़े उन ख्यालों के बारे में ज्यादा सोचते नहीं हैं हम। उन ख्यालों से जुड़ी उन कहानियों के बारे में सोचते नहीं हैं हम।...