दिल के पास तुम रहते हो
#WritcoPoemPrompt63
कैसे बताऊँ दिल की बातें
मन में भरे सौ जज्बातें
कैसे कर दूँ मैं इंकार
की तुम से नहीं ही है हमें कोई प्यार
चुपके से आते हो , कानों में पूछते हो
की बता दो कौन है तुम्हारे दिल का हकदार
कैसे में ये राज़ अब खोलुं
छुपाके रखी थी ज़माने से जिसको
उन बातों को अब में कैसे कह डालूँ
की तुम ही हो जो आँखों में बसते हो
ख्वाबों में आते हो , धड़कन बढ़ाते हो
दिल के पास बस तुम ही रहते हो
मेरे इश्क़ का हो तुम ही हकदार
तुम ही वफ़ा , तुम ही राज़दार
हवाओं के झोंकों जैसे तन को छू जाते हो
दिल के पास बस तुम ही रहते हो
कैसे बताऊँ दिल की बातें
मन में भरे सौ जज्बातें
कैसे कर दूँ मैं इंकार
की तुम से नहीं ही है हमें कोई प्यार
चुपके से आते हो , कानों में पूछते हो
की बता दो कौन है तुम्हारे दिल का हकदार
कैसे में ये राज़ अब खोलुं
छुपाके रखी थी ज़माने से जिसको
उन बातों को अब में कैसे कह डालूँ
की तुम ही हो जो आँखों में बसते हो
ख्वाबों में आते हो , धड़कन बढ़ाते हो
दिल के पास बस तुम ही रहते हो
मेरे इश्क़ का हो तुम ही हकदार
तुम ही वफ़ा , तुम ही राज़दार
हवाओं के झोंकों जैसे तन को छू जाते हो
दिल के पास बस तुम ही रहते हो