अब यूँ उनका...!!
अब यूँ उनका साया आकर मेरे बगल मैं बैठ जाता हैँ,
और यूँ ही लाखों अनकही बातें कह जाता हैँ,
मेँ निहारती हूँ उनको वो फेरती हैँ मेरे सर को,
मेँ ढूंढ़ती हूँ सुकून वो लगाती हैँ सीने से मुझे,
मेँ दूरी का एहसास करती हूँ वो पल पल मुझे समझाती हैँ,
की हर लम्हें को वो मेरे अपने संग खास बनाती हैँ,
ज़ब कँही जाती थी बाहर हज़ारो फ़ोन आते थे "माँ" के
आज कँही जाऊँ बाहर फ़ोन को तकती आँखें मेरी,
जमाने मैं इतने मशरूफ हो गए की किसीकी एहमियत
भूल गए,आज पास वो नही याद के सिवाए कुछ नही,
वो कोई और नही ज़मीन से फलक पर हमें देख आज भी हमारी "माँ" दुआओँ मैं प्यार करती हैँ...!!
शिवानी यादव(शिवि)✍️
और यूँ ही लाखों अनकही बातें कह जाता हैँ,
मेँ निहारती हूँ उनको वो फेरती हैँ मेरे सर को,
मेँ ढूंढ़ती हूँ सुकून वो लगाती हैँ सीने से मुझे,
मेँ दूरी का एहसास करती हूँ वो पल पल मुझे समझाती हैँ,
की हर लम्हें को वो मेरे अपने संग खास बनाती हैँ,
ज़ब कँही जाती थी बाहर हज़ारो फ़ोन आते थे "माँ" के
आज कँही जाऊँ बाहर फ़ोन को तकती आँखें मेरी,
जमाने मैं इतने मशरूफ हो गए की किसीकी एहमियत
भूल गए,आज पास वो नही याद के सिवाए कुछ नही,
वो कोई और नही ज़मीन से फलक पर हमें देख आज भी हमारी "माँ" दुआओँ मैं प्यार करती हैँ...!!
शिवानी यादव(शिवि)✍️