अब यूँ उनका...!!
अब यूँ उनका साया आकर मेरे बगल मैं बैठ जाता हैँ,
और यूँ ही लाखों अनकही बातें कह जाता हैँ,
मेँ निहारती हूँ उनको वो फेरती हैँ मेरे सर को,
मेँ ढूंढ़ती हूँ सुकून वो लगाती हैँ सीने से मुझे,
मेँ दूरी का एहसास करती हूँ वो पल पल मुझे...
और यूँ ही लाखों अनकही बातें कह जाता हैँ,
मेँ निहारती हूँ उनको वो फेरती हैँ मेरे सर को,
मेँ ढूंढ़ती हूँ सुकून वो लगाती हैँ सीने से मुझे,
मेँ दूरी का एहसास करती हूँ वो पल पल मुझे...