...

2 views

कहना तो बहुत कुछ है तुझसे
कहना तो बहुत कुछ चाहता हूँ तुझसे,
मगर कह कहाँ पाता हूँ
सच तो है की जीना है तेरे बगैर
पर एक पल भी कहाँ रह पाता हूँ
कोशिश हर बार होती है तुझे भुलाने कि पर एक पल भी कहाँ भुला पाता हूँ
देखना चाहता हूँ हर रात सपने
पर मैं खुद को सुला नहीं पाता हूँ
तू अगर देख पाती तो समझ जाती,
इस वेबशी को कहाँ छुपा पाता हूँ।
छलक जाता है दर्द आँखो से कभी
पर मैं खामोश भी कहाँ रह पाता हूँ
लिए फिरता हूँ एक समंदर इन आँखों में
मगर रो लू जी भरकर
ऐसा भी कहाँ कर पाता हूँ
मुमकिन नहीं था जीना तेरे बगैर
मजबूर हूँ की मर भी नहीं पाता हूँ
कितना कुछ कहना है तुझसे
पर कह नहीं पाता हूँ
जीना है तेरे बगैर ये सच है
एक पल भी कहाँ रह पाता हूँ।
© Ram Charan