...

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मैं जिंदगी जिने चली थी..!
"मैं जिंदगी जिने चली थी..!
तुझंसे मिलने के बाद मैं तो
जिंदगी जिने चली थी...!!
बरसो पुराणे अधूरे पडे
ख्वाबो को भुलकर फिरसे ..
नये ख्वाब बुंनने चली थी.,..!!
मैं तो जिंदगी जिने चली थी
इलाज नहीं था मेरे जिस दर्द का
किसी बाबा, डॉक्टर, हकीम या,
किसी पीर के पास..,
अखीर मेरे उस्सी दर्द को
आपने मर्ज की दवा समजणे
चली थी..,..!!!
मैं तो तुमसे मिलने के बाद
जिंदगी जिने चली थी.....!!
@योगिता चव्हाण@
© lovestory poetry