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चल कदम बढ़ाते हैं।
चल कदम बढ़ाते हैं
गिरते हैं ,लड़खड़ाते हैं
अरे!इतना मुश्किल नहीं है रास्ता
क्यों हम यूं घबराते हैं?
अगर यूंही ठहर गया ,
मुश्किलों से घबरा गया
तो याद रख!
मौत तो लाज़मी है ज़िन्दगी
के लिए
ना जाने कितने आते हैं
और यूंही चले जाते हैं।
लेकिन !
रोशनी वही बनते हैं रहगुज़र(रास्ते से गुजरने वाले) के लिए
जो गिरते हैं, लड़खड़ाते हैं,
लेकिन ,फिर भी अपना कदम
बढ़ाते हैं।
Fayza kamal
© fayza kamal
गिरते हैं ,लड़खड़ाते हैं
अरे!इतना मुश्किल नहीं है रास्ता
क्यों हम यूं घबराते हैं?
अगर यूंही ठहर गया ,
मुश्किलों से घबरा गया
तो याद रख!
मौत तो लाज़मी है ज़िन्दगी
के लिए
ना जाने कितने आते हैं
और यूंही चले जाते हैं।
लेकिन !
रोशनी वही बनते हैं रहगुज़र(रास्ते से गुजरने वाले) के लिए
जो गिरते हैं, लड़खड़ाते हैं,
लेकिन ,फिर भी अपना कदम
बढ़ाते हैं।
Fayza kamal
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