...

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सब तुम ही हो...
बरसती बारिश सी हो
मुझे नम रखती हो
और मेरे आंसुओं को
बहा भी ले जाती हो।

रात के सुकून सी हो
मुझे मुझसे मिलाती हो
और मेरी थकी आंखों को
सहलाकर सुलाती भी हो।

समंदर की गहराई सी हो
मुझे महोब्बत से छुपाती हो
और अपने में छिपे खज़ानों को
मुझपे खर्चती भी हो।

दिये की पाक़ लौ सी हो
मुझे अपनी तपिश से शुद्ध रखती हो
और मेरे सुस्त एहसासों को
ऊष्मा भी देती हो।

संगीत के सूर सी हो
मुझे हर सांस सुनाई देती हो
और मेरी...