अमृत
अमृत, पथिक की प्यास बुझाने के लिए बरसो तुम!
मेघ रूपी नौका बनाए, दर्शो तुम!
रास्ते के दलदल कुछ दस से गए हैं...
तूफानों की लौह में यह संसारी कुछ फस से गए हैं!
इक बूंद जिंदगी की उस चट्टान पर भी बरसाना
ग्लानि का कीचड़ हटाकर ही जाना !
धुंधले से अंबर की ऊष्मा यहां बस...
मेघ रूपी नौका बनाए, दर्शो तुम!
रास्ते के दलदल कुछ दस से गए हैं...
तूफानों की लौह में यह संसारी कुछ फस से गए हैं!
इक बूंद जिंदगी की उस चट्टान पर भी बरसाना
ग्लानि का कीचड़ हटाकर ही जाना !
धुंधले से अंबर की ऊष्मा यहां बस...