हे मात मेरी प्रिय वसुधा
हे मात मेरी प्रिय वसुधा
अफसोस कि तुझको कुछ दे ना सका।
जिस अंचल के तले
खेला कुंदा बड़ा हुआ
उस अंचल का मोल कभी समझ न सका।
अपनी जरूरत को पूरा करने
तेरी कोख से जन्में पेड़ों को काटे
पर्वत फोड़े पठार फोड़े और
नदी झरनों का मुख मोड़ दिया ...
अफसोस कि तुझको कुछ दे ना सका।
जिस अंचल के तले
खेला कुंदा बड़ा हुआ
उस अंचल का मोल कभी समझ न सका।
अपनी जरूरत को पूरा करने
तेरी कोख से जन्में पेड़ों को काटे
पर्वत फोड़े पठार फोड़े और
नदी झरनों का मुख मोड़ दिया ...