क्षणभंगुर
#EphemeralMoments
गात पर अभिमान क्यों
नश्वर है ये, अस्थिर है ये।
आज लगती स्वर्ण के सम,
मिट्टी है क्षणभंगुर है ये।
हम सजा कर के इसे,
हैं मान लेते सत्य इस को।
है मात्र ये आत्मा का चीर,
समझते क्यों कथ्य इस को ।...
गात पर अभिमान क्यों
नश्वर है ये, अस्थिर है ये।
आज लगती स्वर्ण के सम,
मिट्टी है क्षणभंगुर है ये।
हम सजा कर के इसे,
हैं मान लेते सत्य इस को।
है मात्र ये आत्मा का चीर,
समझते क्यों कथ्य इस को ।...