कलयुग
ये काल कैसा हर शक्श को रुला रहा
इंसा ही आज इन्शानियत को भुला रहा
चोट लगी उसको मरहम की...
इंसा ही आज इन्शानियत को भुला रहा
चोट लगी उसको मरहम की...