🌸नेकी की राह— चंद अश'आर!🌺
🌹🌸🌺
बेईमानी की कमाई में बताओ रखा है क्या,
औलाद को खिलाओ बस नेकी से कमा कर,
मुफ़्त में ख़ाक भी मयस्सर नहीं होती साहेब,
नेमतें हासिल होती हैं खून पसीना बहा कर,
क्यों बेइंतेहा ज़ुल्म करते हो तुम मजलूमों पे,
अपने ज़मीर को नशा-ऐ-अफ़ीम खिला कर,
अपने ही वज़न से होतीं तबाह देखी वो सब,
सल्तनतें हुईं तामीर जो गरीब को रूला कर,
अव्वल तो न कीजिए इश्क, हम बतला दिए,
लगे पाप जो दगा दीजिए किसी को चाह कर,
क्या ही जताना चाहते हो तुम जनाबे आला,
शान ओ शौकत, रूतबा रूआब दिखा कर,
नहीं आए हो इस जहां में रहने सदा के लिए,
गौर से देखना कभी लाश से कफ़न हटा कर,
मुझपे भी नज़रे इनायत रखना ऐ, मेरे मौला,
बुलंदी न हो हासिल किसी का दिल दुखा कर!
🌺🌸🌹
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal
बेईमानी की कमाई में बताओ रखा है क्या,
औलाद को खिलाओ बस नेकी से कमा कर,
मुफ़्त में ख़ाक भी मयस्सर नहीं होती साहेब,
नेमतें हासिल होती हैं खून पसीना बहा कर,
क्यों बेइंतेहा ज़ुल्म करते हो तुम मजलूमों पे,
अपने ज़मीर को नशा-ऐ-अफ़ीम खिला कर,
अपने ही वज़न से होतीं तबाह देखी वो सब,
सल्तनतें हुईं तामीर जो गरीब को रूला कर,
अव्वल तो न कीजिए इश्क, हम बतला दिए,
लगे पाप जो दगा दीजिए किसी को चाह कर,
क्या ही जताना चाहते हो तुम जनाबे आला,
शान ओ शौकत, रूतबा रूआब दिखा कर,
नहीं आए हो इस जहां में रहने सदा के लिए,
गौर से देखना कभी लाश से कफ़न हटा कर,
मुझपे भी नज़रे इनायत रखना ऐ, मेरे मौला,
बुलंदी न हो हासिल किसी का दिल दुखा कर!
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— Vijay Kumar
© Truly Chambyal
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