...

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ज़िन्दगी एक ख्वाब सी।
डगमगाती नाव सी क्यूं है।
जिन्दगी इक ख्वाब सी क्यूं है।

इसका क़तरा भी नशा देता है,
ज़िन्दगी शराब सी क्यूं है।

कभी लगती है जन्नत मानिंद,
ज़िन्दगी सराब सी क्यूं है।

अनबूझ पहेली सी,हर पल,
ज़िन्दगी किताब सी क्यूं है।

कभी हार सी, कभी जीत जैसी,
ज़िन्दगी इक दाव सी क्यूं है।

गमों के पर्वत,खुशी के झरने,
ज़िन्दगी बेहिसाब सी क्यूं है।

© 💕Ss