जज्बात
कितने किस्से तमाम हो गए
जो खास थे वो आम हो गए
उफ्फ तक भी न की कभी
मुफ्त में ही बदनाम हो गए
लबों में प्यास क्या...
जो खास थे वो आम हो गए
उफ्फ तक भी न की कभी
मुफ्त में ही बदनाम हो गए
लबों में प्यास क्या...