स्टीव जॉब्स
नमस्कार दोस्तों मै शशि त्रिपाठी आपकी छोटी लेखिका आज हम बात करेंगे एक रेवोल्यूशनरी हस्ती के बारे में जोकि पूरे टेक्नोलॉजी के दुनिया को रेवोलुशनइज़ किया है तो हम बात करेंगे मिस्टर स्टीव जॉब्स के बारे में जब स्टीव जॉब्स का जन्म हुआ तब उनकी माँ ने उन्हें एडॉप्शन के लिए दे दिया , उनकी एक कंडीशन थी जो स्टीव जॉब्स को अडॉप्ट करना चाहता है वो कम से कम कॉलेज ग्रेजुएट हो , लेकिन जिन्होंने स्टीव को अडॉप्ट किया वो कॉलेज ग्रेजुएट नही थे लेकिन उन्होंने अपनी पूरी मेहनत स्टीव को अच्छी एडुकेशन दिलाने में लगाई , 1972 में स्टीव जॉब्स ने रिड कॉलेज में एडमिशन ली , शुरुवाती दौर में उन्हें पता चला की कॉलेज का एजुकेशन वेस्ट ऑफ मनी है , एक तरफ उनके पेरेंट्स उनके लिए काफी मेहनत करके पैसा इक्कठा कर रहे थे वही स्टीव जॉब्स को लगा जो वो पैसा एजुकेशन पे लगा रहे है वो वेस्ट है,इसलिए उन्होंने कॉलेज से ड्राप आउट होने का फैसला किया ,लेकिन वो कॉलेज ड्राप आउट करने के बावजूद भी कॉलेज जाते रहे उन्हें कैलीग्राफी में काफी मज़ा आता था इसलिए वो कॉलेज जाकर कैलीग्राफी के क्लासेज करते थे उन्होंने जो कॉलेज जाकर जो कैलीग्राफी के क्लासेज किये वो स्किल्स उन्होंने जब एप्पल शुरू किया तब उनके काम आयी 1976 में स्टीव जॉब्स ने स्टीव वज़नीयक के साथ मिलकर एप्पल की शुरुवात की स्टीव वज़नीयक कोडिंग में एक्सपर्ट थे तो प्रोग्रामिंग से रिलेटेड काम स्टीव वज़नीयक मैनेज करते थे ,वही स्टीव जॉब्स एक ऐसे व्यक्ति थे जो चीजों को विसुवलाईज़ करते थे और इनोवेशन में भरोसा रखते थे , मार्किट को और लोगो को किस चीज़ की जरूरत है और प्रोडक्ट मार्किट फ़ीट कैसे होगा इसपर उनका फोकस रहता था और इस चीज़ में वो एक्सपर्ट भी थे , उनका विज़न तबसे काफी बड़ा था , वो हमेशा अपने टाइम के आगे का सोचते थे, एप्पल शुरू करने के कुछ ही दिन बाद उन्होंने माइक मार्ककुला से फंडिंग उठायी माइक मार्ककुला एक एंजेल इन्वेस्टर थे , जिन्होंने एप्पल में इन्वेस्ट किया था लेकिन कुछ दिनों के बाद माइक मार्ककुला को लगा स्टीव जॉब्स और स्टीव वाज़नीयक मैनेजमेंट रोल्स के लिए सही नही है इसलिए उन्होंने अपने दोस्त माईकेल सकॉर्ड को हायर किया और उसे एप्पल का सीईओ बना दिया उसके बाद खुद माइक मार्ककुला एप्पल के सीईओ बने एप्पल के कुछ शुरुवात प्रोडक्ट्स जैसे एप्पल वन एप्पल टू लांच हो चुके थे , एप्पल टू आने के बाद उनका थ्री मिलियन डॉलर का सेल हुआ था और दो साल के अंदर ही ये तीन मिलियन डॉलर से दो सौ मिलियन डॉलर और तीन सौ मिलियन डॉलर तक चला गया जोकि बहुत फ़ास्ट ग्रोथ थी जिसके चलते कंप्यूटर इंडस्ट्री एप्पल एक काफी बड़ा नाम बन गया फिर 1983 में स्टीव जॉब्स पेप्सी के सीईओ जॉन कली के पास गए और स्टीव जॉब्स ने उनसे कहा क्या तुम ये जिंदगी भर ये मीठा पानी बेचना चाहोगे या तुम मेरे साथ आकर ये दुनिया बदलना...