...

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सब बदलही
संगी दूर झन जा मोर से, समय बदलही।
तोर मोर मिलन से हमर दुनियाँ बदलही।
दुख के अंधियार छटही,सुख के अंजोर होही।
सुख के बेरा फिर से हमर जिनगी में लौट के आही।

जतना दुख पाये हवन वतना सुख के सांझ होही,
तोर मया में ये जीवन अब हर बेरा म पूरा होही।
दुख ल झन मना संगी सुख के तिहार होही।
जिनगी के हर जनम में तोर मोर मया के संग होही।
© BALLAL S १७/५/२०२४