...

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ख्वाब में तुम
मेरे ख्वाब में
तुम कुछ ऐसे हो।
रोज़ बातें करती हूं तुमसे,
मेरे ज़हन में तुम्हारे प्यार
के कुछ तारीफे है;
जो बदलते रहते है मौसम के तरह।
सुबह होती है और मुझको लगता है,
दरवाजे पर खड़े हो तुम,
हाथों में दूध की थैली और
एक दिल कश मुस्कान लिए।
कभी शाम के ढलते सूरज
के छाव में छिपे हो तुम
और हाथ बढ़ाऊंगी तो छु के गुज़र जाऊंगी तुम्हे।
इंसानी दुनिया में बेशक तुम्हारा कोई वजूद ना है,
लेकिन जब मेरे कविताओं में हो तुम,
तो तुम हो।
तुम्हारा एहसास मेरे साथ ज़िंदा है।
तुम हो वो जो मेरे उदासी का सबब समझते ही,
तुम मेरे दिल के सच्चे सुकून हो।
तुम हो।
©alaktaka