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गीत लेखन अभ्यास
"गीत लेखन अभ्यास"
फ़िल्म – आरज़ू
वास्विक गीत – ऐ नर्गिस-ऐ-मस्ताना (पुरुष संस्करण)
वास्तविक लेखक – हसरत जयपुरी
अभ्यास्मिक गीत – सुन उल्फ़त के दीवाने (महिला संस्करण)
अभ्यास्मिक लेखिका – सृष्टि स्नेही


(ऐ नरगिस-ए-मस्ताना!ऽऽऽ
बस इतनी शिकायत है,
बस इतनी शिकायत है।
समझा हमें बेगाना!
बस इतनी शिकायत है,
बस इतनी शिकायत है।
ऐ नरगिस-ए-मस्ताना!ऽऽऽ

हर राह पर कतराए,
हर मोड़ पर घबराए।
मुँह फेर लिया है तुमने,
हम जब भी नज़र आए।
मुँह फेर लिया है तुमने,ऽऽऽ
हम जब भी नज़र आए।ऽऽऽ
हमको नहीं पहचाना!
बस इतनी शिकायत है,
बस इतनी शिकायत है।
ऐ नरगिस-ए-मस्ताना!ऽऽऽ)

–हसरत जयपुरी


(सुन उल्फ़त के दीवाने!...ऽऽऽ
क्यों तुमको शिकायत है?
क्यों मुझसे शिकायत है?
ना समझा तुम्हें बेगाना,
बस चाहा ज़रा तरसाना।
क्यों फिर भी शिकायत है?
क्यों मुझसे शिकायत है?
सुन उल्फ़त के दीवाने!...ऽऽऽ

जब कई नज़रें हमें सताए,
तब थोड़ी तो झिझक आए।
फेरा ना मुँह हमने,
बस थोड़ा-सा शर्माए।
फेरा ना मुँह हमने,ऽऽऽ
बस थोड़ा-सा शर्माए। ऽऽऽ
जब ये भी पड़े बताना,
फिर कैसी मुहोब्बत है?
ये कैसी मुहोब्बत है?
सुन उल्फ़त के दीवाने!ऽऽऽ
क्या अब भी शिकायत है?
कोई मुझसे शिकायत है?
सुन उल्फ़त के दीवाने!ऽऽऽ)

–सृष्टि स्नेही


(गीत लेखन के तौर पर यह मेरी प्रथम रचना है। मुझे उम्मीद है कि आप सभी को यह पसंद आएगी। आप सभी से मेरा अनुरोध है कि कृपया अपनी अनमोल टिप्पणीयाँ प्रदान कर मेरा मार्गदर्शन करें व यदि आपको इसमें कोई त्रुटि नज़र आए तो भी अवश्य बताएँ।)

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© सृष्टि स्नेही