जलनें के लिए
किसी दिए को जलनें को
सुलगते जलते जज़्बात चाहिए
चाहत भर से होता ही है क्या
नजरों को नीर नहीं मन की छुपी अग्नि चाहिए
चलते कदमों को होश नहीं
कितना गहरा ये अंधियारा है
इक तेरी सूरत इक तेरा सवाल
बस यही...
सुलगते जलते जज़्बात चाहिए
चाहत भर से होता ही है क्या
नजरों को नीर नहीं मन की छुपी अग्नि चाहिए
चलते कदमों को होश नहीं
कितना गहरा ये अंधियारा है
इक तेरी सूरत इक तेरा सवाल
बस यही...