...

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प्रियतम
प्रियतम मेरे मुझसे मिलने, साँझ ढ़ले आना..
सुरमई-सुरमई रात रंगीली, तुम लेते आना..

मेरे तुम्हारे मधुर मिलन की, बेला आयी है..
संग-संग अपने चंदा तारे, साथ में लाई है..

मेरे गिरधर मैं तो तुम्हारी, राधा प्यारी हूँ..
नील गगन की छाँव में बैठी, राह निहारे हूँ..

इठला कर बलखा कर के मैं, तुम्हें रिझाऊँगी..
आते-आते मेरे लिए कुछ, सौगातें ले आना..

ज्यूँ-ज्यूँ साँझ ढ़ल रही है, बेताबी भी बढ़ रही है..
स्याह रात तुम आते आते,उनको भी लेते आना..
© ऊषा 'रिमझिम'