...

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गजल
कहां जा रहे हो अभी रात बहुत है
तुमसे करने को बात बहुत है

कहो कुछ बातें अपने दिल की हमसे
हमारे पास सुनने को फुर्सत के लम्हात बहुत हैं

कहां जा रहे हो बैठो यही
के बाहर घर के बरसात बहुत है।

क्या पता जिंदगी फिर मोहलत दे या ना दे
हो चुकी है जो तुमसे वह मुलाकात बहुत है

रफ्ता रफ्ता तुम समझ जाओगे
हमारे दिल में तुम्हारे लिए जज्बात बहुत है

ना वाकिफ हो यहां के रस्मों रिवाजों से
खराब यहां के हालात बहुत है।