...

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हे कृष्ण
तुझे भूल जाऊं,
तो जीवन कैसा ?
तेरे पास न आऊं,
तो सुकून कैसा ?
सुबह और शाम तुझे याद न करूँ,
तो वक्त कैसा ?
दर्द में तुझे न पुकारूं,
तो दर्द कैसा ?
खुशी में तुझे आभार न जताऊं,
तो सुख कैसा ?
सुनो, कृष्ण !
सफल होने के लिए सारे किताब पढ़ लूं,
और श्रीमद्भगवद्गीता न पढूं,
तो सफ़लता कैसा ?
खुद के साथ गलत होने के लिए तुझे दोष दूं,
तो इंसान कैसा ?
खुदके कर्म स्वीकार न करूं,
तो व्यक्तित्व कैसा ?
इंसान हो कर इंसान को परखूं,
तो इंसानियत कैसा ?
अधर्म देख कर आवाज न उठाऊं,
तो तेरे भक्त कैसा ?
तू था, है और रहेगा,
यही एक सत्य है।
सबको चीख चीख कर न बोल पाऊं,
तो मैं आत्मा कैसा ?

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे।।

© dikshya