मैं कैसे हार मान जाऊ...😊
सब इसी ताक में है
कि मैं हार मान जाऊ.......,
मैं कैसे हार मान जाऊ
मैं किसी के लिए आशा की किरण,
किसी की आखिरी उम्मीद,
किसी की खुशी
तो किसी का अभिमान हूं........,
अपने आप के लिए जीत
तो किसी के लिए प्रेरणा -सी हूं.....,
लाखों तकलीफों से लड़के
निखरने वाला खरा सोना-सी हूं......,
मैं हार से निर्मित
जीत की कहानी हूं..........,
कभी परिस्थियों ने हाराया
कभी वक्त ने कदम पीछे खीचा,
कभी कुछ अपने कहने वालो ने दुख पहुचाया कसूर किसे दिया
ऐसे असमंजस्य से वक्त ने मिलवाया......,
किनारे की तलाश रखती हूं
हार के लिए ,
अब मैं अपने पास जज़्बात नहीं रखती हूं.....,
हौसला सिर्फ जीत का लेकर
हर बार मैं काटों पर पाव रखती हूं.....,
मैं हार मान जाऊ
ऐसी सोच से भी अब खुद को दरकिनार रखती हूं,
लोग किस ताक में है
इस बात से भी अब मैं फर्क नहीं रखती
मैं तो सिर्फ अपनी कहानी का एक पृष्ठ रोज लिखती हूं......!
© उलझन😊
कि मैं हार मान जाऊ.......,
मैं कैसे हार मान जाऊ
मैं किसी के लिए आशा की किरण,
किसी की आखिरी उम्मीद,
किसी की खुशी
तो किसी का अभिमान हूं........,
अपने आप के लिए जीत
तो किसी के लिए प्रेरणा -सी हूं.....,
लाखों तकलीफों से लड़के
निखरने वाला खरा सोना-सी हूं......,
मैं हार से निर्मित
जीत की कहानी हूं..........,
कभी परिस्थियों ने हाराया
कभी वक्त ने कदम पीछे खीचा,
कभी कुछ अपने कहने वालो ने दुख पहुचाया कसूर किसे दिया
ऐसे असमंजस्य से वक्त ने मिलवाया......,
किनारे की तलाश रखती हूं
हार के लिए ,
अब मैं अपने पास जज़्बात नहीं रखती हूं.....,
हौसला सिर्फ जीत का लेकर
हर बार मैं काटों पर पाव रखती हूं.....,
मैं हार मान जाऊ
ऐसी सोच से भी अब खुद को दरकिनार रखती हूं,
लोग किस ताक में है
इस बात से भी अब मैं फर्क नहीं रखती
मैं तो सिर्फ अपनी कहानी का एक पृष्ठ रोज लिखती हूं......!
© उलझन😊