मैं समझ सकती हूं...!
मैं समझ सकती हूं...!
मैं समझ सकती हूं
तुम्हारी जिम्मेदारिया और किसी कारण तुम्हारे सपनो का कुचला जाना..!
पर इसीलिए मेरी जान. क्या तुम समझ पाओगें ? मेरे लिए सबसे आगे मेरे सपनों का होना...?
मैं समझ सकती हूं
अपनी सारी जिंदगी तो तुमने आपनो के लिए लगा दी है, मैं क़दर करती तूम्हारे सबके लिए जीने के जज्बे को,
पर तुम चाहोगे क्या मेरे साथ हँसना ओर मेरे कंधे पर सर रख दिल खोल कर रोना...?
मैं समझ सकती हूं
मैं समझती हूं दुःख के खोज मैं बुद्ध का घर से दूर हो जाना, और उनका एक महान सत्य को खोजना..
पर क्या तुम समझ पाओगे...
मैं समझ सकती हूं
तुम्हारी जिम्मेदारिया और किसी कारण तुम्हारे सपनो का कुचला जाना..!
पर इसीलिए मेरी जान. क्या तुम समझ पाओगें ? मेरे लिए सबसे आगे मेरे सपनों का होना...?
मैं समझ सकती हूं
अपनी सारी जिंदगी तो तुमने आपनो के लिए लगा दी है, मैं क़दर करती तूम्हारे सबके लिए जीने के जज्बे को,
पर तुम चाहोगे क्या मेरे साथ हँसना ओर मेरे कंधे पर सर रख दिल खोल कर रोना...?
मैं समझ सकती हूं
मैं समझती हूं दुःख के खोज मैं बुद्ध का घर से दूर हो जाना, और उनका एक महान सत्य को खोजना..
पर क्या तुम समझ पाओगे...