...

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मैं झांकती
मैं झांकती दरवाज़े पे दहलीज़ के इस पार ,
कब आओगे प्रियवर तुम लेके खुशियाँ हज़ार ।।

दिन बीते , महीनों गुज़रे गुज़रा साल दर साल ,
सोलह वसंत पार कर ली मैंने , मिलन को मन बेकरार ।।

आँखों के काजल , पैरों की पायल ,
सब में लिखा है नाम तेरा ,
झुमके भी अब तो रह रह बजते ,
उन को भी आए बस खयाल तेरा ।।

मैं बावरी , तू पिया सावरे ,
दूर तुम से होके कब तक रहूँ रे । ।

आ भी जा पिया मोरे अब यूँ ना तरसा ,
दरवाज़े पे राह देखूं , भीतर अब कैसे जाऊँ रे ।।
© LABZ QUEEN