...

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दिल से दिल तक
दिल से दिल तक

ना जाने ये कैसा एहसास हुआ है
दिल से रूह तक बेहाल हुआ है
ढूंढा जिसे दर दर मैने
वो आज मेरे रूबरू हुआ है
कपटी ढोगी नही सन्यासी मुझे नाम दिया है
शान्ति और धैर्य से प्यार हुआ है
कांच की तरह ये दिल चकनाचूर हुआ है
ना जाने ये कैसा एहसास हुआ है
दिल से रूह तक बेहाल हुआ है
नाता तेरा मेरा ना जाने कब से है
ये प्यार नही ये मोहब्बत का जूनून बोल उठा है
मिल कर तुझे ये सब बताना है
कपटी ढोगी नही सन्यासी मुझे नाम दिया है
ना जाने ये कैसा एहसास हुआ है
दिल से रूह तक बेहाल हुआ है
© chandni