...

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इक्का
पत्ता बावन पत्तों में जब कोई भी सच्चा नहीं,
इस बिसात-ए-ज़िन्दगी में कोई भी इक्का नहीं।

ज़िन्दगी की बाज़ी यूँ भी हारना है सबको ही,
मेरे यारों मौत से फिर कोई भी अच्छा नहीं।

तेरी ख़ुशियों का करेंगे फ़ैसला तेरे करम,
सब्र रक्खो, वक़्त इनका कोई भी पक्का नहीं।

राह ही तकता रहा लेकिन नहीं आया जवाब,
क्यों सनम तूने मुझे ख़त कोई भी लिक्खा नहीं।

बेवफ़ाई के अमीर इक बात मेरी सुन ज़रा,
क़ीमती हैं ख़्वाब मेरे, कोई भी सस्ता नहीं।
© Azaad khayaal

2122 / 2122 / 2122 / 212