...

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आखिर ए वक्त तलक की है,
जान पड़ता है लहजे से रियाजी कहां तलक की हैं,
यूं तो खूब लिखते हो ये गजलें गाह तलक की हैं,

हमने सीखा है इश्क में ख्वाहिश ए यार को चुनना,
वरना हमारी हसरतें तो चांद को पाने तलक की हैं,

और खुशियां ढूंढते हैं हम अपने हबीबों में अ साकी,
वरना इस दुनिया में चाहत बस जिस्मों तलक की हैं,

और ए काश, इश्क करे कोई हदों के पार आ करके,
ये कैसी मुहब्बत है, बस कलम कागज तलक की है,

बिना इजहार जो कैफियत समझे वही तो यार है साकी,
यहां हमदर्द की तो बात बस तर्क-ए-अदब तलक की हैं,

और फिर हर्ज ही क्या है गर मेरी चाहत है एकतरफा,
तस्लीम है उससे मेरी दीवानगी भी रूह तलक की है,

और हां हमने मुहब्बत की हरगिज दिलों पे राज रखा है,
मेरी जां हद ए मुहब्बत मेरी आखिर ए वक्त तलक की है,

© #mr_unique😔😔😔👎