मुझे इतना काबिल बनाए !
प्राथना में बस इतना महँगू कि,
है ईश्वर मुझे इतना काबिल बना दीजिए,
कि मेरे अश्रु भी मेरी वीरता और धैर्य दुनिया को दिखाएं।
जिन अश्रु को निर्बलता का रूप कहते हैं,
असहाय स्वरूप कहते हैं,
वही अश्रु मेरे ,
मेरे कलम का स्याही बन जाए ,
युद्ध में मेरे शस्त्र बन जाए,
उन में भी मेरी आवाज़ भर जाए और
सुनने वालों को मेरी साहस कि अनुभूति हो...
है ईश्वर मुझे इतना काबिल बना दीजिए,
कि मेरे अश्रु भी मेरी वीरता और धैर्य दुनिया को दिखाएं।
जिन अश्रु को निर्बलता का रूप कहते हैं,
असहाय स्वरूप कहते हैं,
वही अश्रु मेरे ,
मेरे कलम का स्याही बन जाए ,
युद्ध में मेरे शस्त्र बन जाए,
उन में भी मेरी आवाज़ भर जाए और
सुनने वालों को मेरी साहस कि अनुभूति हो...