...

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दर्द निखर जाए
ए ज़िन्दगी तेरे एहसान बहुत है
गम दिए, गम के अरमान बहुत है

एक उम्र गुज़ारना है इसे सफ़र में
और डगर में मुसाफ़िर, कारवां बहुत है

कोई मोड़ कभी तो ऐसा भी आये
कोई अपना कहे और गले से लगाये

रख दूं वहीं पे सारे गम मैं भुलाके
दिल हँसदे इस कदर की दर्द निखर जाये



© paras