...

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कारीगर
आश्चर्य है कितनी बाखूबी जोड़ लेते है लोग अपना नाम लफ्ज़ो से जैसेअह्सास और दास्तान ए कलम कभी अलग थी ही नही
हो चाहे फिर गालिब या फराज़
लगता है यू
रच बस जाते खुद ब खुद वो नाम और रह जाते है हर्फ कहते है खुद ब खुद उनकी जुबा जैसे बह रही हो जिन्दगी लफ्ज़ो मे घुली हुई सी
और बस मुस्कुरा कर रह जाती है 'मीशा' इन कारीगरो की खूबसूरत सादगी देखकर अचंभित हर दफा।
© Meenakshi ___ मीशा✒️